आज हम बात कर रहे हैं उस तकनीक की, जिसने ड्राइविंग के मायने बदल दिए हैं—जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ ADAS (Advanced Driver Assistance Systems) की। यह सिर्फ़ एक फ़ीचर नहीं, बल्कि सेफ्टी टेक्नोलॉजी का एक ऐसा गुलदस्ता है जो भविष्य की ड्राइविंग को सुरक्षित और आसान बना रहा है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी कार कितनी ‘स्मार्ट’ है? क्या यह सिर्फ़ अलर्ट देती है, या इमरजेंसी में खुद ब्रेक भी लगाती है? इस ‘स्मार्टनेस’ को मापने के लिए, ग्लोबल स्तर पर ADAS के 5 लेवल तय किए गए हैं। तो आइए, आज इसी रोमांचक सफ़र पर चलते हैं और जानते हैं कि आपकी कार किस लेवल पर है, और Level 5 तक भारत की सड़कों पर कब तक पहुँचेगी!
ADAS क्या है? आपकी कार का ‘छठा सेंस’
ADAS यानी एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम, कार में लगे सेंसर्स (रडार, कैमरा, LIDAR) और कंप्यूटर विज़न का एक ऐसा संगम है जो गाड़ी के आसपास के माहौल को लगातार स्कैन करता है। यह ड्राइवर को संभावित दुर्घटनाओं से बचाने के लिए साउंड, वाइब्रेशन या डिस्प्ले पर सिग्नल के ज़रिए अलर्ट करता है, और कुछ स्थितियों में तो स्टीयरिंग (Steering) या ब्रेकिंग (Braking) जैसे कंट्रोल भी खुद संभाल लेता है। यह एक तरह से ड्राइवर का ‘छठा सेंस’ है!
ADAS के 5 लेवल: ऑटोमेशन की सीढ़ी
ADAS टेक्नोलॉजी को 5 अलग-अलग लेवल्स में बाँटा गया है, जो इस बात पर आधारित है कि ड्राइविंग के काम (Steering, Acceleration, Braking) को ड्राइवर या सिस्टम में से कौन संभाल रहा है।
ADAS लेवल | ऑटोमेशन का नाम | ड्राइविंग कंट्रोल (मुख्य) | ड्राइवर की भूमिका | भारत में स्थिति |
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Level 0 | नो ऑटोमेशन | ड्राइवर | पूरी ज़िम्मेदारी ड्राइवर की। | पुरानी कारें (इसमें ADAS नहीं होता)। |
Level 1 | ड्राइवर असिस्टेंस | सिस्टम किसी एक काम में मदद करता है। (जैसे क्रूज़ कंट्रोल) | अधिकांश ज़िम्मेदारी ड्राइवर की, निगरानी भी ज़रूरी। | सबसे आम फ़ीचर (ABS, ESC, लेन डिपार्चर वार्निंग)। |
Level 2 | पार्शियल ऑटोमेशन | सिस्टम दो या दो से ज़्यादा कामों को एक साथ संभालता है। (जैसे एडेप्टिव क्रूज़ कंट्रोल + लेन कीप असिस्ट) | ड्राइवर को हर समय सतर्क रहना और स्टीयरिंग पर हाथ रखना ज़रूरी। | वर्तमान में सबसे ज़्यादा प्रचलित (Mahindra XUV700, Tata Harrier, Hyundai Creta) |
Level 3 | कंडिशनल ऑटोमेशन | कार कुछ विशेष परिस्थितियों (जैसे हाईवे) में खुद चला सकती है। | सिस्टम द्वारा अलर्ट किए जाने पर ड्राइवर को तुरंत नियंत्रण लेने के लिए तैयार रहना होगा। | भारत में अभी टेस्टिंग फेज़ में है। |
Level 4 | हाई ऑटोमेशन | कार लगभग सभी ड्राइविंग टास्क खुद संभाल सकती है, लेकिन सिर्फ़ तय भौगोलिक क्षेत्र (Geofenced Areas) या अच्छे मौसम में। | कुछ परिस्थितियों में ड्राइवर की ज़रूरत, लेकिन सिस्टम के अनुरोध पर नियंत्रण लेना आवश्यक नहीं। | दूर का भविष्य। |
Level 5 | फ़ुल ऑटोमेशन | कार हर परिस्थिति, हर सड़क और हर मौसम में बिना मानवीय हस्तक्षेप के चल सकती है। (सेल्फ-ड्राइविंग) | ड्राइवर की बिल्कुल ज़रूरत नहीं। कार में कोई स्टीयरिंग व्हील भी नहीं हो सकता। | भारत में सबसे दूर का लक्ष्य। |
भारत की सड़कें और ADAS: Level 2 की लहर
आज, भारत के बाज़ार में ADAS Level 2 फ़ीचर्स वाली कारों की बाढ़ आ गई है। कुछ साल पहले तक यह सिर्फ़ लग्जरी कारों का सपना था, लेकिन अब MG Astor जैसी किफायती SUVs से लेकर Tata Safari और Mahindra XUV700 तक में ये फ़ीचर्स आम हो गए हैं।
Level 2 ADAS में दिए जाने वाले एडेप्टिव क्रूज़ कंट्रोल (Adaptive Cruise Control), लेन कीप असिस्ट (Lane Keep Assist) और ऑटोमैटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग (AEB) जैसे फ़ीचर वाकई कमाल के हैं। हाइवे पर लंबी यात्रा को ये बेहद तनाव-मुक्त बना देते हैं।
चुनौतियाँ: Level 3+ के लिए बड़ी रुकावट
भारत में Level 3 या उससे ऊपर की ADAS तकनीक को लागू करने में कई बड़ी चुनौतियाँ हैं:
- सड़क की स्थिति: हमारी सड़कों पर लेन मार्किंग (Lane Markings) का अभाव, अचानक आने वाले गड्ढे और टूटी-फूटी सड़कें, सेंसर्स के लिए सही डेटा इकट्ठा करना मुश्किल बना देते हैं।
- अनियंत्रित ट्रैफिक: पैदल यात्री, जानवर, साइकिल और बाइक चलाने वाले अचानक सड़क पर आ जाते हैं, जिससे सिस्टम के लिए सटीक निर्णय लेना एक जटिल काम बन जाता है।
- कानूनी पहलू: यदि Level 3 की कार दुर्घटनाग्रस्त हो जाए, तो ज़िम्मेदारी ड्राइवर की होगी या सिस्टम की? इसके लिए स्पष्ट कानूनी नियम बनाना आवश्यक है।
- मौसम: मानसून में भारी बारिश और कोहरे जैसी स्थितियाँ ADAS सेंसर्स (विशेषकर कैमरा और LIDAR) के काम करने की क्षमता को प्रभावित करती हैं।
Level 5 तक कब पहुंचेगी भारत की कारें? एक अनुमान
Level 5 यानी फ़ुल ऑटोमेशन का मतलब है कि आप कार में बैठकर आराम से सो सकते हैं या कोई फ़िल्म देख सकते हैं, और कार खुद-ब-खुद आपको आपकी मंज़िल तक पहुँचा देगी। यह एक क्रांतिकारी बदलाव होगा।
चूंकि Level 3 ADAS के लिए भी अभी कई तकनीकी और कानूनी चुनौतियाँ हैं, इसलिए एक पेशेवर ब्लॉगर के रूप में मेरा अनुमान है:
- Level 3 और Level 4 (सीमित क्षेत्रों में): भारत में बड़े शहरों के चुनिंदा और अच्छी तरह से प्रबंधित एक्सप्रेसवे (Expressways) पर अगले 5-7 वर्षों (2030-2032) में सीमित रूप से देखने को मिल सकते हैं।
- Level 5 (फ़ुल ऑटोमेशन): सड़क के बुनियादी ढांचे (Road Infrastructure) में बड़े सुधार, स्पष्ट सरकारी नियमों और तकनीक के और परिपक्व होने के बाद, Level 5 ADAS से लैस कारों को भारत की सड़कों पर आने में कम से कम 10-15 वर्ष (2035-2040) का समय लग सकता है।
यह केवल टेक्नोलॉजी की बात नहीं है, यह बात है भारत की सड़कों के ‘अनप्रेडिक्टेबल’ स्वभाव को पूरी तरह से समझने वाले एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम की। जब तक हमारे ADAS सिस्टम इस अनिश्चितता को 100% सटीकता से नहीं संभाल लेते, Level 5 एक दूर का सपना ही रहेगा।
आपका क्या विचार है? क्या आपको लगता है कि भारत में ADAS Level 5 इतनी जल्दी आ सकता है? हमें कमेंट में ज़रूर बताएँ!