मोबाइल एड-हॉक नेटवर्क (MANET) के राउटिंग प्रोटोकॉल

मोबाइल एड-हॉक नेटवर्क (MANET) के राउटिंग प्रोटोकॉल

मोबाइल एड-हॉक नेटवर्क, या MANET, वो जादुई दुनिया है जहां बिना किसी फिक्स्ड इंफ्रास्ट्रक्चर के डिवाइस आपस में जुड़ जाते हैं। कल्पना कीजिए, एक भूकंप प्रभावित इलाके में सैनिकों के हैंडहेल्ड डिवाइस तुरंत नेटवर्क बना लें, या एक संगीत फेस्टिवल में हजारों फोन बिना वाई-फाई राउटर के डेटा शेयर करें। लेकिन ये सब संभव कैसे होता है? जवाब है – राउटिंग प्रोटोकॉल। ये वो स्मार्ट सिस्टम हैं जो डेटा पैकेट्स को सही रास्ता दिखाते हैं, भले ही नोड्स (डिवाइस) इधर-उधर घूमते रहें।

आज हम MANET राउटिंग प्रोटोकॉल को ऐसे समझेंगे जैसे दोस्तों के बीच चाय की दुकान पर बात हो। ये आर्टिकल न सिर्फ कॉन्सेप्ट्स क्लियर करेगा, बल्कि आपको वो इनसाइट्स देगा जो आपके अगले प्रोजेक्ट या एग्जाम में काम आएंगे। चलिए, डाइव करते हैं!

MANET क्या है? बेसिक्स से शुरू करें

MANET यानी मोबाइल एड-हॉक नेटवर्क, एक वायरलेस नेटवर्क है जहां मोबाइल नोड्स (जैसे लैपटॉप, स्मार्टफोन या सेंसर) बिना किसी सेंट्रल कंट्रोलर के आपस में कनेक्ट होते हैं। यहां कोई वायर्ड कनेक्शन या एक्सेस पॉइंट नहीं – सब कुछ डायनामिक। नोड्स मूव करते हैं, इसलिए टोपोलॉजी (नेटवर्क स्ट्रक्चर) लगातार बदलती रहती है।

राउटिंग प्रोटोकॉल MANET का दिल हैं। ये तय करते हैं कि डेटा पैकेट स्रोत से डेस्टिनेशन तक कैसे पहुंचे। बिना इनके, डेटा भटक जाएगा जैसे शहर में बिना GPS के। मुख्य चैलेंज? हाई मोबिलिटी, लिमिटेड बैंडविड्थ, एनर्जी कंजम्प्शन और सिक्योरिटी। लेकिन चिंता न करें, प्रोटोकॉल्स इन्हें हैंडल करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।

राउटिंग प्रोटोकॉल के प्रकार: तीन मुख्य कैटेगरी

MANET राउटिंग प्रोटोकॉल को तीन ग्रुप्स में बांटा जाता है – प्रोएक्टिव, रिएक्टिव और हाइब्रिड। हर एक का अपना स्टाइल है, जैसे ट्रैफिक में अलग-अलग ड्राइविंग टेक्नीक। आइए, एक-एक करके देखें।

प्रोएक्टिव राउटिंग प्रोटोकॉल: हमेशा तैयार रहो

प्रोएक्टिव प्रोटोकॉल, जिन्हें टेबल-ड्रिवन भी कहते हैं, नेटवर्क में हर नोड को पहले से रूटिंग टेबल अपडेट रखने का काम सौंपते हैं। मतलब, डेटा भेजने से पहले ही सभी संभावित रूट्स की जानकारी हो जाती है। ये जैसे आर्मी के सिपाही – हमेशा अलर्ट।

उदाहरण:

  • DSDV (डेस्टिनेशन-सीक्वेंस्ड डिस्टेंस-वेक्टर): ये बेलमैन-फोर्ड एल्गोरिदम पर बेस्ड है। हर नोड रूटिंग टेबल शेयर करता है, और सीक्वेंस नंबर्स से लूप्स अवॉइड करता है। छोटे नेटवर्क्स में शानदार, लेकिन बड़े में ओवरहेड ज्यादा।
  • OLSR (ऑप्टिमाइज्ड लिंक स्टेट राउटिंग): लिंक स्टेट इंफो ब्रॉडकास्ट करता है, लेकिन ऑप्टिमाइज्ड तरीके से। MPR (मल्टी-पॉइंट रिले) से डुप्लिकेट पैकेट्स कम होते हैं।

फायदे? लो लेटेंसी – डेटा तुरंत भेजा जा सकता है। नुकसान? कांस्टेंट अपडेट्स से बैटरी और बैंडविड्थ खर्च। अगर आपका नेटवर्क स्टेबल है, तो ये बेस्ट चॉइस।

रिएक्टिव राउटिंग प्रोटोकॉल: जरूरत पड़ने पर जागो

रिएक्टिव या ऑन-डिमांड प्रोटोकॉल तब एक्टिव होते हैं जब डेटा भेजना हो। पहले रूट डिस्कवर करते हैं, फिर यूज। ये स्मार्ट शॉपर्स जैसे – जरूरत न हो तो सोते रहो। ओवरहेड कम, लेकिन डिले हो सकती है।

उदाहरण:

  • AODV (एड-हॉक ऑन-डिमांड डिस्टेंस वेक्टर): रूट रिक्वेस्ट (RREQ) और रूट रिप्लाई (RREP) से रूट बनाता है। फ्लडिंग से बचने के लिए सीक्वेंस नंबर्स यूज करता है। मिलिट्री या डिजास्टर रिकवरी में पॉपुलर।
  • DSR (डायनामिक सोर्स रूटिंग): सोर्स नोड पूरा रूट जानता है (सोर्स रूटिंग)। रूट कैशिंग से एफिशिएंट, लेकिन बड़े नेटवर्क में हेडर साइज बढ़ जाता है।

फायदे? कम कंट्रोल मैसेजेस, स्केलेबल। नुकसान? फर्स्ट-टाइम रूट डिस्कवरी में टाइम लगता है। हाई मोबिलिटी वाले सिनेरियो में ये चमकते हैं।

हाइब्रिड राउटिंग प्रोटोकॉल: बेस्ट ऑफ बाथ वर्ल्ड्स

हाइब्रिड प्रोटोकॉल प्रोएक्टिव और रिएक्टिव का मिक्स हैं। छोटे जोन में प्रोएक्टिव, बाहर रिएक्टिव। जैसे हाइब्रिड कार – ईंधन और इलेक्ट्रिसिटी दोनों। बड़े नेटवर्क्स के लिए परफेक्ट।

उदाहरण:

  • ZRP (जोन रूटिंग प्रोटोकॉल): नोड्स को जोन्स में डिवाइड करता है। इंट्रा-जोन प्रोएक्टिव (IARP), इंटर-जोन रिएक्टिव (IERP)।
  • TORA (टेम्पोरली ऑर्डर्ड रूटिंग एल्गोरिदम): DAG (डायरेक्टेड एक्लाइक्लिक ग्राफ) बनाता है, रिवर्स रूट्स से क्विक रीऑर्गनाइजेशन।

फायदे? बैलेंस्ड परफॉर्मेंस, लो ओवरहेड। नुकसान? कॉम्प्लेक्स सेटअप। अगर आपका MANET मीडियम साइज का है, तो ये ट्राई करें।

MANET राउटिंग प्रोटोकॉल की तुलना: एक नजर में

नीचे एक सिंपल टेबल है जो इन प्रोटोकॉल्स की तुलना करता है। ये आपको डिसीजन लेने में मदद करेगा।

प्रकारउदाहरणफायदेनुकसानबेस्ट फॉर
प्रोएक्टिवDSDV, OLSRलो लेटेंसी, रेडी रूट्सहाई ओवरहेड, बैटरी ड्रेनछोटे, स्टेबल नेटवर्क्स
रिएक्टिवAODV, DSRलो ओवरहेड, स्केलेबलहाई इनिशियल डिलेहाई मोबिलिटी, बड़े नेटवर्क्स
हाइब्रिडZRP, TORAबैलेंस्ड, एडाप्टिवकॉम्प्लेक्स इम्प्लीमेंटेशनमीडियम साइज, डायनामिक सेटअप

ये तुलना से साफ है कि चॉइस नेटवर्क साइज, मोबिलिटी और एप्लीकेशन पर डिपेंड करती है।

MANET राउटिंग आसान नहीं। हिडन टर्मिनल प्रॉब्लम, इंटरफेरेंस, एनर्जी लिमिट्स – ये सब सिरदर्द हैं।
सॉल्यूशन? क्रॉस-लेयर डिजाइन या ML-बेस्ड प्रोटोकॉल।
उदाहरण के तौर पर, डिजास्टर मैनेजमेंट में AODV को एनर्जी-एवेयर वर्जन से रिप्लेस करें।

MANET राउटिंग प्रोटोकॉल तकनीक का वो कोना है जो IoT, 5G और स्मार्ट सिटीज को पावर दे रहा है। चाहे आप स्टूडेंट हों या प्रोफेशनल, इनकी समझ आपको आगे ले जाएगी। अगली बार जब आपका फोन हॉटस्पॉट शेयर करे, तो याद रखें – ये MANET का ही छोटा रूप है! अगर ये आर्टिकल पसंद आया, तो कमेंट्स में बताएं आपका फेवरेट प्रोटोकॉल कौन सा है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top