शेयर बाजार में डेरिवेटिव वित्तीय उपकरण होते हैं जिनका मूल्य अंतर्निहित संपत्ति, जैसे शेयर, सूचकांक या वस्तु, के मूल्य पर निर्भर करता है। ये मुख्यतः हेजिंग (जोखिम प्रबंधन), अटकलों (सट्टेबाजी) और लीवरेज (उधारी के माध्यम से निवेश) के लिए उपयोग किए जाते हैं। प्रमुख प्रकारों में फ्यूचर्स, ऑप्शन्स, फॉरवर्ड्स और स्वैप्स शामिल हैं। उदाहरण के लिए, फ्यूचर्स अनुबंध खरीदार को एक निश्चित तिथि पर एक निर्दिष्ट मूल्य पर संपत्ति खरीदने या बेचने का दायित्व देते हैं।
डेरिवेटिव का मुख्य उद्देश्य जोखिम प्रबंधन, सट्टा (Speculation), और निवेशकों को अधिक लाभ कमाने का अवसर प्रदान करना है।
शेयर बाजार में डेरिवेटिव क्या है?
डेरिवेटिव (Derivative) शेयर बाजार के सबसे महत्वपूर्ण और जटिल वित्तीय उपकरणों में से एक है। यह एक अनुबंध है, जिसका मूल्य किसी अंतर्निहित परिसंपत्ति (Underlying Asset) जैसे शेयर, बांड, कमोडिटी (जैसे सोना, चांदी), करेंसी (विदेशी मुद्रा) या सूचकांक (Index) पर निर्भर करता है।
डेरिवेटिव का उपयोग मुख्य रूप से जोखिम प्रबंधन (Risk Management), सट्टा (Speculation), और मूल्य निर्धारण (Price Discovery) के लिए किया जाता है। यह उन निवेशकों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है जो कम पूंजी में उच्च लाभ कमाना चाहते हैं, लेकिन यह जोखिमपूर्ण भी होता है।
डेरिवेटिव का मूल सिद्धांत यह है कि यह किसी परिसंपत्ति की भविष्य की कीमत पर आधारित होता है। इसमें दो पक्ष होते हैं:
- खरीदार (Buyer): जो अनुबंध को खरीदने के लिए सहमत होता है।
- बेचने वाला (Seller): जो अनुबंध को बेचने के लिए सहमत होता है।
उदाहरण के लिए, यदि आप मानते हैं कि सोने की कीमत भविष्य में बढ़ेगी, तो आप फ्यूचर्स अनुबंध खरीद सकते हैं। यदि कीमत आपके अनुमान के अनुसार बढ़ती है, तो आप लाभ कमा सकते हैं।
डेरिवेटिव के प्रमुख प्रकार
डेरिवेटिव को मुख्य रूप से चार प्रकारों में बांटा जा सकता है:
1. फॉरवर्ड (Forward Contracts)
- यह एक निजी अनुबंध होता है, जिसमें दो पक्ष किसी परिसंपत्ति को भविष्य में एक निश्चित कीमत पर खरीदने या बेचने के लिए सहमत होते हैं।
- उदाहरण: यदि किसान और व्यापारी यह अनुबंध करें कि तीन महीने बाद गेहूं की कीमत ₹2,500 प्रति क्विंटल होगी, तो यह एक फॉरवर्ड अनुबंध होगा।
2. फ्यूचर्स (Futures Contracts)
- यह एक मानकीकृत अनुबंध है, जिसे एक्सचेंज के माध्यम से किया जाता है।
- उदाहरण: यदि निवेशक मानते हैं कि सोने की कीमत बढ़ेगी, तो वे फ्यूचर्स में निवेश कर सकते हैं।
3. ऑप्शन्स (Options)
- यह अनुबंध निवेशकों को विकल्प देता है, लेकिन बाध्यता नहीं होती।
- दो प्रकार:
- कॉल ऑप्शन (Call Option) – खरीदने का अधिकार।
- पुट ऑप्शन (Put Option) – बेचने का अधिकार।
4. स्वैप्स (Swaps)
- यह अनुबंध दो पक्षों के बीच नकदी प्रवाह (Cash Flow) का आदान-प्रदान है।
- उदाहरण: करेंसी स्वैप, ब्याज दर स्वैप।
डेरिवेटिव के उपयोग
1. जोखिम प्रबंधन (Risk Management)
डेरिवेटिव का उपयोग जोखिम को कम करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, कंपनियां फ्यूचर्स का उपयोग करेंसी रिस्क को मैनेज करने के लिए करती हैं।
2. सट्टा (Speculation)
डेरिवेटिव का उपयोग निवेशक अधिक लाभ कमाने के लिए करते हैं। हालांकि, इसमें जोखिम भी अधिक होता है।
3. पोर्टफोलियो विविधीकरण (Portfolio Diversification)
निवेशक अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए डेरिवेटिव का उपयोग करते हैं।
डेरिवेटिव में निवेश के फायदे और नुकसान
फायदे | नुकसान |
---|---|
जोखिम प्रबंधन में मदद | अधिक जोखिम और जटिलता |
कम पूंजी में अधिक निवेश का अवसर | बड़े नुकसान की संभावना |
बाजार में तरलता (Liquidity) बढ़ाना | अनुभवहीन निवेशकों के लिए खतरनाक |
डेरिवेटिव के उदाहरण
1. फॉरवर्ड का उदाहरण
किसान और व्यापारी ₹2,500 प्रति क्विंटल की दर पर तीन महीने के लिए गेहूं का फॉरवर्ड अनुबंध करते हैं। यदि तीन महीने बाद गेहूं की बाजार कीमत ₹2,700 हो जाती है, तो व्यापारी को लाभ और किसान को नुकसान होगा।
2. फ्यूचर्स का उदाहरण
यदि सोने की वर्तमान कीमत ₹70,000 प्रति 10 ग्राम है और निवेशक मानता है कि कीमत बढ़कर ₹75,000 हो जाएगी, तो वह सोने का फ्यूचर्स अनुबंध खरीद सकता है।
3. ऑप्शन का उदाहरण
एक निवेशक ₹500 की कीमत पर एक शेयर खरीदने का कॉल ऑप्शन खरीदता है। यदि कीमत ₹550 हो जाती है, तो वह शेयर खरीद सकता है और लाभ कमा सकता है।
निष्कर्ष
डेरिवेटिव वित्तीय बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो निवेशकों और व्यापारियों को जोखिम प्रबंधन, लाभ कमाने और पोर्टफोलियो में विविधता लाने का अवसर देता है। हालांकि, यह एक जटिल उपकरण है और इसमें निवेश करने से पहले सावधानी और गहरी समझ जरूरी है।
डेरिवेटिव में निवेश करने से पहले विशेषज्ञों की सलाह लें और अपने वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लें।