अबेनोमिक्स (अबे-नोमिक्स) शब्द का अर्थ जापान के वर्तमान प्रधान मंत्री शिंजो आबे द्वारा शुरू किए गए आर्थिक नीतियों के समूह से है। इसका लक्ष्य 2012 से जापान की अर्थव्यवस्था को मंदी से निकालना और लंबे समय से चली आ रही मुद्रास्फीति को बढ़ावा देना था। अबेनोमिक्स को तीन “तीर” के रूप में वर्णित किया गया है: पहला तीर: सक्रिय वित्तीय नीति, दूसरा तीर: लचीला ढांचागत सुधार, तीसरा तीर: आर्थिक विकास रणनीति।
अबेनोमिक्स क्या है? | Abenomics kya hai
अबेनोमिक्स (“Abenomics”) शब्द का प्रयोग जापान के वर्तमान आर्थिक नीतियों के समूह को सन्दर्भित करने के लिए किया जाता है। ये नीतियां 2012 में देश के प्रधान मंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe) द्वारा शुरू की गई थीं। इनका लक्ष्य जापान की अर्थव्यवस्था को मंदी (Mandi) से बाहर निकालना, मुद्रास्फीति (Mudraflation) को बढ़ाना और आर्थिक विकास को गति प्रदान करना था। अबेनोमिक्स को तीन मुख्य स्तंभों द्वारा समर्थित किया गया है:
मौद्रिक ढील (Monetary Easing): बैंक ऑफ जापान ने ब्याज दरों को कम करके और अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति बढ़ाकर मुद्रा का ढीलापन की नीति अपनाई। इसका लक्ष्य उपभोक्ताओं को खर्च करने और व्यवसायों को निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना था।
राजकोषीय प्रोत्साहन (Fiscal Stimulus): सरकार ने बुनियादी ढांचे के निर्माण और सामाजिक कार्यक्रमों पर खर्च बढ़ाकर राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान किया। इसका उद्देश्य अल्पावधि में अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करना और दीर्घावधि में उत्पादकता में वृद्धि करना था।
संरचनात्मक सुधार (Structural Reforms): अबेनोमिक्स का लक्ष्य श्रम बाजार में लचीलापन बढ़ाना, कॉर्पोरेट गवर्नेंस में सुधार करना और व्यापार को आसान बनाना जैसे संरचनात्मक सुधारों को लागू करना भी था। ये सुधार जापानी अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने और दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए थे।
अबेनोमिक्स की शुरुआत के बाद, जापान की अर्थव्यवस्था में कुछ सकारात्मक बदलाव देखने को मिले। स्टॉक मार्केट में तेजी आई और बेरोजगारी दर कम हुई। मुद्रास्फीति का लक्ष्य हासिल करना हालांकि मुश्किल साबित हुआ।
आबेन्नोमिक्स की सफलता पर बहस जारी है। समर्थकों का कहना है कि इसने जापान को मंदी से बाहर निकाला है, रोजगार वृद्धि को बढ़ावा दिया है और मुद्रास्फीति को बढ़ाया है। आलोचकों का तर्क है कि यह आय असमानता को बढ़ा देता है, सरकारी ऋण को बढ़ाता है और टिकाऊ नहीं है।
अबेनोमिक्स के लाभ:
- आर्थिक विकास: जापान की अर्थव्यवस्था 2013 से 2019 के बीच लगातार छह वर्षों तक बढ़ी।
- रोजगार वृद्धि: बेरोजगारी की दर कम हुई और श्रम बाजार में अधिक महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हुए।
- मुद्रास्फीति में वृद्धि: मुद्रास्फीति का लक्ष्य हासिल नहीं हुआ, लेकिन यह गिरावट से दूर चला गया।
अबेनोमिक्स के नुकसान:
- आय असमानता: धनी और गरीब के बीच का अंतर बढ़ गया है।
- सरकारी ऋण: सरकारी खर्च में वृद्धि के कारण सरकारी ऋण में काफी इजाफा हुआ है।
- टिकाऊपन: आलोचकों का कहना है कि आबेन्नोमिक्स टिकाऊ नहीं है और इसका दीर्घकालिक प्रभाव अनिश्चित है।
आलोचकों का तर्क है कि अबेनोमिक्स असमानता को बढ़ाकर और सरकारी ऋण को बढ़ाकर विफल रहा है। उनका यह भी कहना है कि यह मुख्य रूप से बड़े निगमों को लाभान्वित करता है और छोटे व्यवसायों और मजदूर वर्ग की उपेक्षा करता है। इसके अतिरिक्त, कुछ का तर्क है कि अत्यधिक मौद्रिक ढीलेपन के कारण वर्तमान में जापान में देखी जा रही मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई है।
अबेनोमिक्स का भविष्य
2020 में शिंजो आबे के इस्तीफे के बाद से अबेनोमिक्स नीतियों में कुछ बदलाव हुए हैं। हालांकि, जापान की मौजूदा सरकार अभी भी इन नीतियों के मूल सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध है। यह देखना बाकी है कि अबेनोमिक्स भविष्य में जापान की अर्थव्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित करेगा।
अबेनोमिक्स की सफलता कई कारकों पर निर्भर करेगी, जिनमें वैश्विक आर्थिक स्थिति, बैंक ऑफ जापान की मुद्रास्फीति को लक्ष्य तक पहुंचाने की क्षमता और सरकार द्वारा किए जाने वाले संरचनात्मक सुधार शामिल हैं।