AQI क्या है? एयर क्वालिटी इंडेक्स को समझने का सबसे आसान तरीका

AQI क्या है? एयर क्वालिटी इंडेक्स को समझने का सबसे आसान तरीका

आज की तेज़ी से बढ़ती शहरीकरण वाली दुनिया में हवा की गुणवत्ता हमारी सबसे जरूरी चिंताओं में से एक बन चुकी है। हम रोज़ाना सांस लेते हैं, लेकिन अक्सर यह नहीं जानते कि हवा में कितना प्रदूषण है। इसी सवाल का जवाब देता है AQI यानी Air Quality Index, जो हवा की स्थिति को एक आसान नंबर में बदलकर हमें सतर्क करता है।

AQI सिर्फ एक नंबर नहीं बल्कि आपका स्वास्थ्य अलर्ट सिस्टम है। यह आपको बताता है कि कब बाहर जाना सुरक्षित है और कब नहीं। अगर आप रोज AQI चेक करने की आदत डाल लें, तो आप अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य की बेहतर रक्षा कर सकते हैं।

AQI क्या है? आसान भाषा में समझें

AQI एक ऐसा स्कोर है जो हमें बताता है कि हमारी हवा साफ है या प्रदूषित। इसे 0 से 500 तक के स्केल पर मापा जाता है। नंबर जितना ज्यादा होगा, हवा उतनी ही ज्यादा खराब और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानी जाती है।

साधारण शब्दों में कहें तो, जैसे थर्मामीटर आपके शरीर का तापमान बताता है, वैसे ही AQI (Air Quality Index) हवा की सेहत बताता है। यह एक ऐसा पैमाना है जो हमें बताता है कि जिस हवा में हम सांस ले रहे हैं, वह कितनी शुद्ध है या कितनी जहरीली।

सरकार और पर्यावरण एजेंसियां शहरों में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाती हैं। ये स्टेशन हवा में मौजूद कणों और गैसों को मापकर एक संयुक्त स्कोर तैयार करते हैं। इसी स्कोर को AQI कहा जाता है।

एक जागरूक नागरिक होने के नाते, आपको AQI के गणित को समझना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह सीधा आपके और आपके परिवार की सेहत से जुड़ा मुद्दा है। आइये, इसे बहुत ही आसान तरीके से समझते हैं।

AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) आखिर काम कैसे करता है?

सरकार और पर्यावरण एजेंसियां हवा की गुणवत्ता को मापने के लिए एक नंबर जारी करती हैं, जिसे एयर क्वालिटी इंडेक्स कहते हैं। यह नंबर हमें यह बताता है कि हवा में प्रदूषण का स्तर कितना है।

AQI जितना कम होगा, हवा उतनी ही साफ मानी जाएगी। और यह नंबर जितना ज्यादा होगा, हवा उतनी ही खतरनाक होगी।

हवा को दूषित करने वाले मुख्य रूप से 8 कारक होते हैं, जिन्हें मिलाकर AQI तैयार किया जाता है:

  1. PM 10 (धूल के मोटे कण)
  2. PM 2.5 (सबसे खतरनाक महीन कण)
  3. NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड)
  4. SO2 (सल्फर डाइऑक्साइड)
  5. CO (कार्बन मोनोऑक्साइड)
  6. O3 (ओजोन)
  7. NH3 (अमोनिया)
  8. Pb (सीसा/लेड)

इनमें सबसे ज्यादा चर्चा PM 2.5 की होती है क्योंकि ये कण इतने छोटे होते हैं कि सांस के जरिए सीधे हमारे खून में मिल सकते हैं।

AQI का चार्ट: कब हवा है ‘अच्छी’ और कब ‘जानलेवा’?

AQI को समझने के लिए इसे 6 श्रेणियों (Categories) में बांटा गया है। नीचे दी गई टेबल से आप आसानी से समझ सकते हैं कि आपके शहर का हाल क्या है:

AQI रेंज (Range)हवा की गुणवत्ता (Category)स्वास्थ्य पर प्रभाव (Health Impact)
0 – 50अच्छी (Good)यह सबसे बेहतर स्थिति है। इसमें किसी को कोई खतरा नहीं है।
51 – 100संतोषजनक (Satisfactory)संवेदनशील लोगों (जैसे अस्थमा के मरीज) को थोड़ी दिक्कत हो सकती है।
101 – 200मध्यम (Moderate)फेफड़ों की बीमारी वाले बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
201 – 300खराब (Poor)लंबे समय तक बाहर रहने पर स्वस्थ व्यक्ति को भी सांस की दिक्कत हो सकती है।
301 – 400बहुत खराब (Very Poor)यह खतरनाक स्थिति है। इससे सांस की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
401 – 500गंभीर (Severe)यह ‘इमरजेंसी’ है। यह हवा स्वस्थ इंसान को भी बीमार बना सकती है।

AQI बढ़ने या प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं?

अक्सर हम देखते हैं कि ठंड आते ही AQI खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं:

वाहनों का धुआं: शहरों में गाड़ियों की बढ़ती संख्या प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। पुराने वाहनों से निकलने वाला धुआं हवा को जहरीला बनाता है।

कंस्ट्रक्शन और धूल: जगह-जगह चल रहे निर्माण कार्य (Construction) से उड़ने वाली धूल PM 10 का स्तर बढ़ा देती है।

पराली जलाना: उत्तर भारत में, विशेषकर सर्दियों में, खेतों में पराली (Stubble Burning) जलाने से जो धुआं उठता है, वह हवा की गति कम होने के कारण एक जगह जमा हो जाता है, जिससे ‘गैस चैंबर’ जैसी स्थिति बन जाती है।

मौसम का प्रभाव: गर्मियों में गर्म हवा प्रदूषकों को ऊपर ले जाती है, लेकिन सर्दियों में हवा भारी और ठंडी होती है, जिससे प्रदूषण जमीन के पास ही फंसा रह जाता है।

खराब AQI का हमारे शरीर पर क्या असर पड़ता है?

प्रदूषित हवा सिर्फ खांसी या गले में खराश तक सीमित नहीं है। यह “स्लो पॉइजन” की तरह काम करती है।

  • फेफड़ों को नुकसान: लंबे समय तक खराब हवा में रहने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों की क्षमता कम होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  • दिल की बीमारियां: PM 2.5 कण खून में मिलकर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ाते हैं।
  • बच्चों पर असर: बच्चों के फेफड़े विकसित हो रहे होते हैं, इसलिए जहरीली हवा का उन पर सबसे बुरा असर पड़ता है।
  • मानसिक तनाव: कई शोध यह भी बताते हैं कि अत्यधिक प्रदूषण का असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार पर भी पड़ता है।

खराब AQI से खुद को कैसे बचाएं? (सुरक्षा के उपाय)

जब AQI ‘खराब’ या ‘गंभीर’ श्रेणी में हो, तो आपको कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए:

1. मास्क का सही चुनाव करें

कपड़े का सामान्य मास्क प्रदूषण के महीन कणों (PM 2.5) को नहीं रोक पाता। बाहर निकलते समय N95 या N99 मास्क का ही प्रयोग करें। यह मास्क चेहरे पर कसकर फिट होना चाहिए।

2. एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल

अगर आप ऐसे शहर में रहते हैं जहां AQI अक्सर 300 के पार रहता है, तो घर में एक अच्छी क्वालिटी का Air Purifier लगवाना एक अच्छा निवेश हो सकता है, खासकर अगर घर में बुजुर्ग या बच्चे हैं।

3. इनडोर पौधे लगाएं (Indoor Plants)

कुदरती तरीके से हवा साफ करने के लिए आप अपने घर में स्नेक प्लांट (Snake Plant), स्पाइडर प्लांट (Spider Plant) या एलोवेरा लगा सकते हैं। ये पौधे ऑक्सीजन छोड़ते हैं और हवा को शुद्ध करते हैं।

4. बाहर टहलना बंद करें

अक्सर हम सुबह की सैर (Morning Walk) को सेहतमंद मानते हैं, लेकिन जब AQI ज्यादा हो, तो सुबह की सैर फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे समय में घर के अंदर ही व्यायाम या योग करें।

5. प्रदूषण जांचने वाले ऐप्स का उपयोग करें

घर से निकलने से पहले अपने फोन में AQI चेक करें। ‘Sameer App’ (CPCB द्वारा) या अन्य वेदर ऐप्स का इस्तेमाल करके ही अपनी दिनचर्या प्लान करें।

निष्कर्ष: जिम्मेदारी हमारी भी है

AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है, यह हमारे पर्यावरण की चीख है जो बता रही है कि हम कुदरत के साथ क्या कर रहे हैं। सरकार अपने स्तर पर नियम बनाती है, लेकिन एक नागरिक के तौर पर हमारी भी जिम्मेदारी है। हम कोशिश करें कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें, कूड़ा न जलाएं और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं। याद रखें, साफ हवा हमारा अधिकार है, लेकिन इसे साफ रखना हमारा कर्तव्य भी है।

अगली बार जब आप AQI चेक करें, तो सिर्फ नंबर न देखें, बल्कि यह सोचें कि आज आपने इस नंबर को कम करने के लिए क्या योगदान दिया।

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