आयकर अधिनियम 1961 की धारा 43बी (एच)

आयकर अधिनियम 1961 की धारा 43बी (एच)

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 43बी (एच) एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जिसे वित्त अधिनियम, 2023 द्वारा पेश किया गया था। इसका उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को समय पर भुगतान सुनिश्चित करके और उनकी कार्यशील पूंजी की समस्याओं को कम करके उनकी वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार करना है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का महत्वपूर्ण योगदान है। ये उद्यम न केवल रोजगार सृजन में अग्रणी भूमिका निभाते हैं, बल्कि आर्थिक विकास को गति भी देते हैं। यह लेख धारा 43बी (एच) के विभिन्न पहलुओं, इसके अनुपालन के प्रभाव और एमएसएमई और बड़े उद्यमों पर इसके संभावित प्रभावों की व्याख्या करेगा।

धारा 43बी (एच) का सार

धारा 43बी (एच) (Section 43B(h)) यह निर्धारित करती है कि एमएसएमई को आपूर्ति किए गए सामानों या सेवाओं के लिए देय राशि को उसी वर्ष में कटौती के रूप में दावा किया जा सकता है, बशर्ते सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 में निर्धारित समय सीमा के भीतर भुगतान किया जाता है।

यह समय सीमा बिना किसी लिखित समझौते के 15 दिन और लिखित समझौते के साथ 45 दिन है। इसका मतलब यह है कि यदि कोई बड़ा उद्यम एमएसएमई को इन निर्धारित अवधियों के भीतर भुगतान करने में विफल रहता है, तो वह कटौती का लाभ नहीं उठा सकता है और उसे खर्च को पूरी तरह से अपनी आय में शामिल करना होगा।

धारा 43बी (एच) का उद्देश्य:

  • एमएसएमई को समय पर भुगतान सुनिश्चित करना।
  • एमएसएमई के लिए कार्यशील पूंजी की उपलब्धता बढ़ाना।
  • एमएसएमई को बेहतर बाजार हिस्सेदारी और प्रतिस्पर्धात्मकता प्रदान करना।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई के योगदान को बढ़ावा देना।

धारा 43बी (एच) का मुख्य उद्देश्य एमएसएमई क्षेत्र को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जो अक्सर समय पर भुगतान न होने के कारण कार्यशील पूंजी की कमी से ग्रस्त होता है। समय पर भुगतान एमएसएमई को अपने बिलों का भुगतान करने, कच्चा माल खरीदने, कर्मचारियों को वेतन देने और अपने व्यवसाय का विस्तार करने में सक्षम बनाता है। यह एमएसएमई क्षेत्र के समग्र विकास में योगदान देता है और नौकरी सृजन को बढ़ावा देता है।

धारा 43बी (एच) के प्रमुख बिंदु:

  • यह धारा किसी भी ऐसे करदाता पर लागू होती है, जो व्यापार या पेशे से आय अर्जित करता है।
  • यह धारा किसी भी सूक्ष्म या लघु उद्यम को आपूर्ति किए गए सामानों या सेवाओं के लिए देय किसी भी राशि पर लागू होती है।
  • यह धारा इस बात पर जोर देती है कि भुगतान सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 की धारा 15 में निर्धारित समय सीमा के भीतर किया जाना चाहिए।
  • यदि भुगतान समय सीमा के भीतर नहीं किया जाता है, तो करदाता को धारा 43बी के तहत कटौती का लाभ नहीं मिलेगा।
  • धारा 15 में निर्धारित समय सीमा :
    • लिखित समझौते के बिना – 15 दिन
    • लिखित समझौते के साथ – 45 दिन

धारा 43बी (एच) का अनुपालन कैसे करें?

यदि आप एक व्यवसाय या पेशेवर हैं, तो धारा 43बी (एच) का अनुपालन करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए आप निम्न कदम उठा सकते हैं:

  • अपने आपूर्तिकर्ताओं का एमएसएमई पंजीकरण जांचें: सुनिश्चित करें कि आपके आपूर्तिकर्ता सही तरीके से एमएसएमई के रूप में पंजीकृत हैं।
  • भुगतान शर्तों के बारे में स्पष्ट लिखित समझौते करें: यह सुनिश्चित करता है कि भुगतान तिथि स्पष्ट और विवाद से मुक्त हो।
  • समय पर भुगतान करें: देर से भुगतान से बचने के लिए, भुगतान तिथियों को पूरा करना सुनिश्चित करें।
  • अपने लेन-देन का रिकॉर्ड रखें: एमएसएमई को भुगतान के सभी रिकॉर्ड बनाए रखें, ताकि कर अधिकारियों द्वारा जांच के दौरान आप उन्हें प्रस्तुत कर सकें।

धारा 43बी (एच) के प्रभाव:

  • एमएसएमई को समय पर भुगतान मिलने से उनके वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार होगा।
  • एमएसएमई अपनी कार्यशील पूंजी का अधिक कुशलता से उपयोग कर सकेंगे।
  • एमएसएमई बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धात्मक बन सकेंगे।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

धारा 43बी (एच) के बारे में कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न:

1. धारा 43बी (एच) क्या है?

यह धारा आयकर अधिनियम, 1961 में एक प्रावधान है जो 45 दिनों के भीतर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को भुगतान न करने पर व्यावसायिक व्यय को कटौती योग्य नहीं बनाता है।

2. यह धारा किस पर लागू होती है?

यह धारा उन सभी व्यक्तियों और व्यवसायों पर लागू होती है जो एमएसएमई से माल या सेवाएं खरीदते हैं।

3. एमएसएमई की परिभाषा क्या है?

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की परिभाषा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 के अनुसार है।

4. 45 दिनों की अवधि कब से शुरू होती है?

यह अवधि माल या सेवाओं की आपूर्ति की तारीख से शुरू होती है।

5. यदि भुगतान 45 दिनों के बाद किया जाता है तो क्या होगा?

यदि भुगतान 45 दिनों के बाद किया जाता है, तो खरीदार उस भुगतान पर किए गए व्यय को अपनी आयकर गणना में कटौती के रूप में दावा नहीं कर सकता है।

6. क्या इस धारा से बचने का कोई तरीका है?

हाँ, इस धारा से बचने के कुछ तरीके हैं:

  • एमएसएमई को 45 दिनों के भीतर भुगतान करना।
  • एमएसएमई से माल या सेवाएं खरीदने से बचना।
  • एमएसएमई से लिखित अनुबंध प्राप्त करना जिसमें भुगतान की शर्तों को स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया गया हो।

7. धारा 43बी (एच) का उद्देश्य क्या है?

इस धारा का उद्देश्य एमएसएमई को समय पर भुगतान प्राप्त करने में मदद करना और उनके नकदी प्रवाह में सुधार करना है।

8. धारा 43बी (एच) के बारे में अधिक जानकारी कहां प्राप्त करें?

आप आयकर विभाग की वेबसाइट या किसी कर सलाहकार से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

Section 43B(h) भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई के विकास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस धारा के अनुपालन से एमएसएमई को समय पर भुगतान सुनिश्चित होगा, जिससे उनके वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार होगा और आर्थिक विकास को गति मिलेगी। हालांकि, इस धारा के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और लचीलापन बनाए रखना आवश्यक है।

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