आयकर स्लैब और टैक्स नियमों को समझना हर उस व्यक्ति के लिए जरूरी है जो भारत में आय अर्जित करता है। लेकिन क्या आपको लगता है कि यह विषय जटिल और उबाऊ है? चिंता न करें! इस लेख में हम आपको वित्तीय वर्ष 2025-26 (निर्धारण वर्ष 2026-27) के लिए आयकर स्लैब को सरल और रोचक तरीके से समझाएंगे। चाहे आप वेतनभोगी हों, फ्रीलांसर हों, या व्यवसायी, यह लेख आपके टैक्स की गणना को आसान बनाएगा। तो चलिए, शुरू करते हैं और जानते हैं कि आप कितना टैक्स देते हैं!
जब भी कोई व्यक्ति आय कमाता है तो सरकार उस पर टैक्स लगाती है। यह टैक्स सभी पर समान नहीं होता, बल्कि आय के आधार पर तय किया जाता है। इसी व्यवस्था को आयकर स्लैब (Income Tax Slab) कहते हैं। आसान भाषा में कहें तो जितनी ज्यादा आय होगी, उतना ज्यादा प्रतिशत टैक्स लगेगा।
आयकर स्लैब क्या है?
आयकर स्लैब एक ऐसी प्रणाली है जिसके तहत सरकार आपकी वार्षिक आय को विभिन्न स्तरों (स्लैब) में बांटती है और प्रत्येक स्लैब पर अलग-अलग कर दरें लागू करती है। यह स्लैब आपकी आय, उम्र, और चुनी गई कर व्यवस्था (पुरानी या नई) के आधार पर बदलते हैं। भारत में दो कर व्यवस्थाएं हैं:
- पुरानी कर व्यवस्था: इसमें कई कटौतियां और छूट उपलब्ध हैं, जैसे धारा 80C, 80D, आदि।
- नई कर व्यवस्था: यह सरल और कम दरों वाली है, लेकिन इसमें ज्यादातर कटौतियां उपलब्ध नहीं हैं।
भारत एक प्रगतिशील कर प्रणाली (Progressive Tax System) अपनाता है, जहां ज्यादा कमाई करने वालों पर अधिक टैक्स लगाया जाता है। इसका उद्देश्य है कि समाज में आर्थिक संतुलन बना रहे और सरकार के पास विकास के लिए पर्याप्त राजस्व हो।
नई कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब (वित्तीय वर्ष 2025-26)
नई कर व्यवस्था को वित्तीय वर्ष 2020-21 में पेश किया गया था और इसे 2025-26 में और आकर्षक बनाया गया है। यह डिफॉल्ट व्यवस्था है, लेकिन आप पुरानी व्यवस्था चुन सकते हैं। आइए, नई व्यवस्था के स्लैब देखें:
आय (₹) | कर दर |
---|---|
0 – 4 लाख | 0% |
4 लाख – 8 लाख | 5% |
8 लाख – 12 लाख | 10% |
12 लाख – 16 लाख | 15% |
16 लाख – 20 लाख | 20% |
20 लाख – 24 लाख | 25% |
24 लाख से अधिक | 30% |
विशेष छूट:
- ₹12 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं, धारा 87A के तहत ₹60,000 तक की रिबेट के कारण।
- वेतनभोगियों के लिए ₹75,000 की स्टैंडर्ड डिडक्शन, जिससे ₹12.75 लाख तक की आय टैक्स-मुक्त हो सकती है।
उदाहरण: मान लीजिए, रमेश की वार्षिक आय ₹10 लाख है। नई व्यवस्था में उनकी टैक्स गणना इस प्रकार होगी:
- ₹0 – ₹4 लाख: कोई टैक्स नहीं
- ₹4 लाख – ₹8 लाख: ₹4 लाख का 5% = ₹20,000
- ₹8 लाख – ₹10 लाख: ₹2 लाख का 10% = ₹20,000
- कुल टैक्स: ₹40,000
- स्टैंडर्ड डिडक्शन (₹75,000) और धारा 87A की रिबेट के बाद, टैक्स शून्य हो सकता है, अगर आय ₹12 लाख से कम है।
पुरानी कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब
पुरानी व्यवस्था में कटौतियां और छूट उपलब्ध हैं, जो इसे कुछ लोगों के लिए आकर्षक बनाती हैं। यहाँ स्लैब हैं (60 वर्ष से कम आयु के लिए):
आय (₹) | कर दर |
---|---|
0 – 2.5 लाख | 0% |
2.5 लाख – 5 लाख | 5% |
5 लाख – 10 लाख | 20% |
10 लाख से अधिक | 30% |
वरिष्ठ नागरिक (60-80 वर्ष):
- ₹3 लाख तक: कोई टैक्स नहीं
- ₹3 लाख – ₹5 लाख: 5%
- ₹5 लाख – ₹10 लाख: 20%
- ₹10 लाख से अधिक: 30%
अति वरिष्ठ नागरिक (80 वर्ष से अधिक):
- ₹5 लाख तक: कोई टैक्स नहीं
- ₹5 लाख – ₹10 लाख: 20%
- ₹10 लाख से अधिक: 30%
उदाहरण: शालिनी, 35 वर्ष, की आय ₹15 लाख है और वह ₹1.5 लाख की धारा 80C कटौती का दावा करती हैं। उनकी गणना:
- कर योग्य आय: ₹15 लाख – ₹1.5 लाख – ₹50,000 (स्टैंडर्ड डिडक्शन) = ₹13 लाख
- ₹2.5 लाख तक: कोई टैक्स नहीं
- ₹2.5 लाख – ₹5 लाख: ₹2.5 लाख का 5% = ₹12,500
- ₹5 लाख – ₹10 लाख: ₹5 लाख का 20% = ₹1,00,000
- ₹10 लाख – ₹13 लाख: ₹3 लाख का 30% = ₹90,000
- कुल टैक्स: ₹2,02,500 (प्लस 4% स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर)
नई बनाम पुरानी: कौन सी व्यवस्था चुनें?
यह निर्णय आपकी आय, निवेश, और कटौतियों पर निर्भर करता है। अगर आप धारा 80C, 80D, या गृह ऋण ब्याज जैसी कटौतियों का लाभ लेते हैं, तो पुरानी व्यवस्था बेहतर हो सकती है। लेकिन अगर आपकी कटौतियां कम हैं, तो नई व्यवस्था की कम दरें और सरल गणना फायदेमंद हैं।
सुझाव: एक कर सलाहकार से परामर्श करें या ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर का उपयोग करें, जैसे कि बजाज फिनसर्व या इंडिया फर्स्ट लाइफ के कैलकुलेटर।
आयकर स्लैब को समझना और सही कर व्यवस्था चुनना आपके वित्तीय स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। नई व्यवस्था सरलता और कम दरें प्रदान करती है, जबकि पुरानी व्यवस्था कटौतियों के माध्यम से बचत का अवसर देती है। अपनी आय और निवेश के आधार पर सही विकल्प चुनें और टैक्स कैलकुलेटर का उपयोग करें। क्या आपने इस वर्ष की टैक्स प्लानिंग शुरू की है? नीचे कमेंट करें और हमें बताएं!