शेयर बाजार में डेरिवेटिव का उपयोग कैसे किया जाता है?

शेयर बाजार में डेरिवेटिव का उपयोग कैसे किया जाता है?

डेरिवेटिव एक वित्तीय साधन है जिसका मूल्य किसी अन्य संपत्ति (जैसे स्टॉक, बॉन्ड, या कमोडिटी) पर आधारित होता है। यह एक अनुबंध है जो दो या अधिक पक्षों के बीच होता है और इसका उपयोग जोखिम प्रबंधन, सट्टेबाजी और हेजिंग के लिए किया जाता है।

डेरिवेटिव का मुख्य उद्देश्य है:

  • जोखिम को प्रबंधित करना।
  • बाजार में अधिक तरलता लाना।
  • मूल्य अस्थिरता से लाभ कमाना।

डेरिवेटिव का उपयोग हेजिंग के लिए किया जाता है, जिससे निवेशक मूल्य में संभावित गिरावट या वृद्धि से बच सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक निवेशक जिसके पास किसी स्टॉक की बड़ी मात्रा है, उसकी कीमत गिरने से बचने के लिए फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट बेच सकता है।

सट्टेबाज डेरिवेटिव का उपयोग बिना वास्तविक संपत्ति खरीदे मूल्य में उतार-चढ़ाव से लाभ कमाने के लिए करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर किसी स्टॉक की कीमत बढ़ने की उम्मीद है, तो निवेशक कॉल ऑप्शन खरीद सकते हैं।

डेरिवेटिव का उपयोग कैसे किया जाता है?

शेयर बाजार में डेरिवेटिव का उपयोग विभिन्न वित्तीय साधनों की कीमतों को हेज करने, अटकलें लगाने और जोखिम प्रबंधन के लिए किया जाता है। डेरिवेटिव अनुबंध जैसे फ्यूचर्स और ऑप्शंस, निवेशकों को भविष्य में संपत्तियों की खरीद या बिक्री का अधिकार देते हैं। यह निवेशकों को संभावित लाभ प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है, जबकि जोखिम को भी सीमित करता है। डेरिवेटिव का सही उपयोग निवेश रणनीतियों को सुदृढ़ करने और बाजार में उतार-चढ़ाव से बचाव में मदद करता है।

चरणविवरण
1. डेरिवेटिव्स की पहचानडेरिवेटिव्स वित्तीय अनुबंध होते हैं जिनका मूल्य किसी अंतर्निहित परिसंपत्ति (जैसे स्टॉक, बांड, कमोडिटी) पर निर्भर करता है।
2. उद्देश्य निर्धारणनिवेशक यह निर्धारित करते हैं कि वे डेरिवेटिव्स का उपयोग हेजिंग (जोखिम प्रबंधन), सट्टेबाजी (मूल्य परिवर्तन पर लाभ), या लीवरेज (कम पूंजी में अधिक जोखिम) के लिए करना चाहते हैं।
3. उपयुक्त डेरिवेटिव का चयनउद्देश्य के आधार पर, निवेशक फ्यूचर्स, ऑप्शन्स, फॉरवर्ड्स, या स्वैप्स में से उपयुक्त डेरिवेटिव का चयन करते हैं।
4. मार्जिन और लीवरेज का निर्धारणडेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग के लिए आवश्यक मार्जिन राशि और लीवरेज का निर्धारण किया जाता है, जिससे कम पूंजी में अधिक जोखिम लिया जा सकता है।
5. ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म का चयनडेरिवेटिव्स की ट्रेडिंग के लिए उपयुक्त ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म का चयन किया जाता है।
6. ट्रेड निष्पादनचयनित डेरिवेटिव्स में खरीदारी या बिक्री की जाती है, जो निर्धारित उद्देश्य के अनुसार होती है।
7. निगरानी और समायोजनबाजार की स्थितियों के अनुसार पोर्टफोलियो की निगरानी की जाती है और आवश्यकतानुसार समायोजन किया जाता है।
8. सेटलमेंटडेरिवेटिव्स की समाप्ति तिथि पर, लाभ या हानि का निर्धारण किया जाता है और सेटलमेंट किया जाता है।

इस प्रक्रिया के माध्यम से, निवेशक डेरिवेटिव्स का प्रभावी उपयोग करके अपने निवेश उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

1. जोखिम प्रबंधन (Risk Management):

डेरिवेटिव का सबसे बड़ा उपयोग जोखिम को कम करना है। उदाहरण के लिए, यदि कोई किसान फसल की कीमत में गिरावट के जोखिम से बचना चाहता है, तो वह फ्यूचर्स अनुबंध का उपयोग कर सकता है।

2. मूल्य खोज (Price Discovery):

डेरिवेटिव बाजार में संपत्तियों की कीमतों के लिए एक मंच प्रदान करता है, जिससे वास्तविक मूल्य की जानकारी मिलती है।

3. सट्टा लगाना (Speculation):

ट्रेडर्स डेरिवेटिव का उपयोग मूल्य में उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाने के लिए करते हैं। हालांकि, इसमें उच्च जोखिम भी होता है।

4. हेजिंग (Hedging):

डेरिवेटिव का उपयोग निवेश पोर्टफोलियो को संभावित नुकसान से बचाने के लिए किया जाता है।

5. अंतरराष्ट्रीय व्यापार (International Trade):

मुद्रा डेरिवेटिव का उपयोग विदेशी मुद्रा विनिमय दरों में बदलाव के जोखिम को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है।

डेरिवेटिव से संबंधित प्रमुख उदाहरण

  1. एयरलाइन कंपनियां: विमान ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचने के लिए फ्यूचर्स अनुबंध का उपयोग करती हैं।
  2. कृषि क्षेत्र: किसान अपनी फसल की कीमतों को लॉक करने के लिए फॉरवर्ड्स का उपयोग करते हैं।
  3. निवेशक: पोर्टफोलियो की सुरक्षा के लिए ऑप्शंस का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी निवेशक को स्टॉक की कीमत गिरने का डर है, तो वह पुट ऑप्शन खरीद सकता है।

डेरिवेटिव के लिए खाता खोलना

डेरिवेटिव में ट्रेडिंग शुरू करने के लिए आपको शेयर बाजार में एक ट्रेडिंग और डेरिवेटिव खाता खोलना होगा:

  1. ब्रोकरेज खाता: एक मान्य ब्रोकर के साथ खाता खोलें।
  2. मार्जिन मनी: डेरिवेटिव में ट्रेडिंग के लिए आपको मार्जिन मनी जमा करनी होगी, जो आपकी ट्रेडिंग पोजीशन के हिसाब से तय होती है।
  3. केवाईसी (KYC): अपना पहचान और पता प्रमाण प्रदान करें।

भारतीय शेयर बाजार में डेरिवेटिव का उपयोग 2000 में शुरू हुआ। एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) और बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) पर फ्यूचर्स और ऑप्शंस का व्यापार प्रमुख है।

डेरिवेटिव की मूल बातें समझना

डेरिवेटिव में ट्रेडिंग के लिए आपको इन महत्वपूर्ण टर्म्स को समझना होगा:

  • स्पॉट प्राइस: वह वर्तमान बाजार मूल्य जिस पर संपत्ति खरीदी या बेची जाती है।
  • स्ट्राइक प्राइस: वह पूर्वनिर्धारित मूल्य जिस पर ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट निष्पादित होता है।
  • एक्सपायरी डेट: वह तारीख जब डेरिवेटिव अनुबंध समाप्त होता है।
  • मार्जिन कॉल: जब आपके खाते में न्यूनतम मार्जिन आवश्यकताओं से कम धनराशि होती है।

क्या आपको डेरिवेटिव में निवेश करना चाहिए?

डेरिवेटिव में निवेश करने से पहले निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें:

  1. बाजार का ज्ञान: डेरिवेटिव का उपयोग करने से पहले उसके तंत्र और जोखिमों को समझें।
  2. स्टॉप-लॉस का उपयोग करें: जोखिम को कम करने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग करें।
  3. पेशेवर सलाह: निवेश के फैसले लेने से पहले विशेषज्ञों की सलाह लें।
  4. छोटे कदम: शुरुआत में छोटे निवेश से शुरुआत करें और धीरे-धीरे अपने अनुभव के साथ उसे बढ़ाएं।

डेरिवेटिव शेयर बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो जोखिम प्रबंधन और लाभ कमाने में मदद करते हैं। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि निवेशक इसके जटिल तंत्र और जोखिम को समझें। सही रणनीतियों और जानकारी के साथ डेरिवेटिव निवेशकों और ट्रेडर्स के लिए फायदेमंद हो सकता है।

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