जब आप नई गाड़ी खरीदने की सोचते हैं, तो शोरूम में चमचमाती कार या बाइक देखकर मन उत्साहित हो जाता है। लेकिन जैसे ही बात कीमत की आती है, दो शब्द अक्सर सामने आते हैं—एक्स-शोरूम प्राइस और ऑन-रोड प्राइस। ये दोनों टर्म्स सुनने में तो आसान लगते हैं, लेकिन इनके बीच का अंतर समझना कई बार कन्फ्यूजिंग हो सकता है। अगर आप भी सोच रहे हैं कि आखिर ऑन-रोड प्राइस क्या होता है और यह एक्स-शोरूम कीमत से कैसे अलग है, तो यह लेख आपके लिए है।
इस लेख में हम सरल हिंदी में, उदाहरणों और तथ्यों के साथ, इन दोनों कीमतों के बीच का अंतर समझाएंगे। साथ ही, हम यह भी बताएंगे कि ऑन-रोड प्राइस में क्या-क्या शामिल होता है और गाड़ी खरीदते समय आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। तो चलिए, शुरू करते हैं!
ऑन-रोड प्राइस क्या है?
ऑन-रोड प्राइस वह कुल राशि है, जो आपको अपनी गाड़ी को सड़क पर चलाने के लिए चुकानी पड़ती है। यह वह अंतिम कीमत है, जिसमें गाड़ी की लागत के साथ-साथ सभी अतिरिक्त शुल्क, जैसे रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस, रोड टैक्स, और अन्य वैधानिक शुल्क शामिल होते हैं। आसान शब्दों में कहें, तो यह वह कीमत है, जो आपको गाड़ी को शोरूम से घर लाने और सड़क पर कानूनी रूप से चलाने के लिए चुकानी होती है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए आप एक कार खरीदने गए। शोरूम में आपको बताया जाता है कि कार की एक्स-शोरूम कीमत 8 लाख रुपये है। लेकिन जब आप फाइनल बिल देखते हैं, तो वह 9.5 लाख रुपये हो जाता है। यह अतिरिक्त राशि ही ऑन-रोड प्राइस का हिस्सा है, जिसमें कई तरह के शुल्क जुड़े होते हैं।
एक्स-शोरूम प्राइस क्या है?
एक्स-शोरूम प्राइस वह कीमत है, जो गाड़ी की मूल लागत को दर्शाती है। इसमें गाड़ी की फैक्ट्री कॉस्ट, डीलर का मार्जिन, और जीएसटी (GST) शामिल होता है। लेकिन इसमें वे सभी अतिरिक्त शुल्क शामिल नहीं होते, जो गाड़ी को सड़क पर चलाने के लिए जरूरी हैं। यानी, यह वह कीमत है, जो शोरूम में गाड़ी की बेसिक लागत को दर्शाती है।
उदाहरण: अगर एक बाइक की एक्स-शोरूम कीमत 1.5 लाख रुपये है, तो इसमें बाइक की लागत और जीएसटी शामिल है। लेकिन इसे सड़क पर चलाने के लिए आपको रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस, और रोड टैक्स जैसे अतिरिक्त खर्चे करने होंगे, जो ऑन-रोड प्राइस का हिस्सा बनते हैं।
ऑन-रोड प्राइस और एक्स-शोरूम प्राइस में मुख्य अंतर
ऑन-रोड प्राइस और एक्स-शोरूम प्राइस के बीच का अंतर समझने के लिए हमें यह जानना होगा कि ऑन-रोड प्राइस में कौन-कौन से घटक शामिल होते हैं। आइए, इसे एक टेबल के जरिए समझते हैं:
घटक | एक्स-शोरूम प्राइस | ऑन-रोड प्राइस |
---|---|---|
गाड़ी की मूल कीमत | शामिल | शामिल |
जीएसटी (GST) | शामिल | शामिल |
रोड टैक्स | नहीं | शामिल |
रजिस्ट्रेशन शुल्क | नहीं | शामिल |
इंश्योरेंस | नहीं | शामिल |
हैंडलिंग चार्ज | नहीं | शामिल (कभी-कभी) |
अन्य शुल्क (जैसे RTO, TCS) | नहीं | शामिल |
ऑन-रोड प्राइस में शामिल प्रमुख घटक
ऑन-रोड प्राइस को समझने के लिए इसके घटकों को विस्तार से जानना जरूरी है। ये घटक हर गाड़ी और राज्य के हिसाब से थोड़े अलग-अलग हो सकते हैं। आइए, इनके बारे में जानते हैं:
1. रोड टैक्स
रोड टैक्स वह शुल्क है, जो आपको अपनी गाड़ी को सड़क पर चलाने के लिए राज्य सरकार को देना होता है। यह टैक्स गाड़ी की कीमत और राज्य के नियमों पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली और मुंबई में रोड टैक्स की दरें अलग-अलग हो सकती हैं। आमतौर पर, रोड टैक्स गाड़ी की एक्स-शोरूम कीमत का 4% से 15% तक हो सकता है।
उदाहरण: अगर आपकी कार की एक्स-शोरूम कीमत 10 लाख रुपये है और आपके राज्य में रोड टैक्स 10% है, तो आपको 1 लाख रुपये रोड टैक्स के रूप में देने होंगे।
2. रजिस्ट्रेशन शुल्क
गाड़ी को सड़क पर चलाने के लिए उसका रजिस्ट्रेशन RTO (Regional Transport Office) में कराना जरूरी है। इसके लिए आपको रजिस्ट्रेशन शुल्क देना होता है, जिसमें गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर और स्मार्ट कार्ड की लागत शामिल होती है। यह शुल्क आमतौर पर कुछ हजार रुपये होता है।
3. इंश्योरेंस
भारत में गाड़ी का थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य है। इसके अलावा, कई लोग कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस भी लेते हैं, जो गाड़ी को नुकसान, चोरी, या दुर्घटना से बचाता है। इंश्योरेंस की लागत गाड़ी के मॉडल, इंजन की क्षमता, और इंश्योरेंस कंपनी पर निर्भर करती है।
उदाहरण: एक मिड-रेंज कार के लिए थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस की लागत 5,000 से 10,000 रुपये और कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस की लागत 15,000 से 30,000 रुपये हो सकती है।
4. हैंडलिंग और लॉजिस्टिक चार्ज
कुछ डीलर गाड़ी को शोरूम तक लाने और हैंडल करने के लिए अतिरिक्त शुल्क लेते हैं। यह शुल्क सभी डीलरशिप में लागू नहीं होता, लेकिन कई बार ऑन-रोड प्राइस में शामिल किया जाता है।
5. अन्य शुल्क
कुछ अतिरिक्त शुल्क, जैसे टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS), हाइपोथिकेशन चार्ज (अगर गाड़ी लोन पर ली गई है), और फास्टैग शुल्क, भी ऑन-रोड प्राइस का हिस्सा हो सकते हैं। TCS आमतौर पर 1% होता है और यह 7 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली गाड़ियों पर लागू होता है।
ऑन-रोड प्राइस की गणना कैसे करें?
ऑन-रोड प्राइस की गणना करने के लिए आपको सभी घटकों को जोड़ना होगा। आइए, इसे एक उदाहरण के साथ समझते हैं:
उदाहरण: एक कार की कीमत
- एक्स-शोरूम कीमत: 8,00,000 रुपये
- रोड टैक्स (10%): 80,000 रुपये
- रजिस्ट्रेशन शुल्क: 10,000 रुपये
- थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस: 8,000 रुपये
- कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस (वैकल्पिक): 20,000 रुपये
- TCS (1%): 8,000 रुपये
- हैंडलिंग चार्ज: 5,000 रुपये
कुल ऑन-रोड प्राइस = 8,00,000 + 80,000 + 10,000 + 8,000 + 20,000 + 8,000 + 5,000 = 9,31,000 रुपये
इस तरह, गाड़ी की ऑन-रोड कीमत एक्स-शोरूम कीमत से काफी अधिक हो सकती है।
ऑन-रोड प्राइस को प्रभावित करने वाले कारक
ऑन-रोड प्राइस कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे:
- राज्य के नियम: हर राज्य में रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क की दरें अलग-अलग होती हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली में रोड टैक्स की दरें उत्तर प्रदेश से अलग हो सकती हैं।
- गाड़ी का प्रकार: बाइक, कार, या लग्जरी गाड़ी के आधार पर टैक्स और इंश्योरेंस की लागत बदलती है।
- इंश्योरेंस का प्रकार: थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस सस्ता होता है, जबकि कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस महंगा हो सकता है।
- डीलरशिप: कुछ डीलर अतिरिक्त शुल्क, जैसे हैंडलिंग चार्ज, जोड़ सकते हैं।
- लोन: अगर आप गाड़ी लोन पर खरीदते हैं, तो हाइपोथिकेशन चार्ज भी ऑन-रोड प्राइस में जुड़ सकता है।
गाड़ी खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें
- बजट बनाएं: हमेशा ऑन-रोड प्राइस को ध्यान में रखकर बजट बनाएं, न कि केवल एक्स-शोरूम कीमत को।
- डीलर से पूरी जानकारी लें: डीलर से पूछें कि ऑन-रोड प्राइस में क्या-क्या शामिल है। कुछ डीलर अनावश्यक शुल्क जोड़ सकते हैं।
- इंश्योरेंस की तुलना करें: अलग-अलग इंश्योरेंस कंपनियों की पॉलिसी की तुलना करें ताकि आपको सबसे अच्छा डील मिले।
- ऑफर्स और डिस्काउंट: कई बार डीलर इंश्योरेंस या रजिस्ट्रेशन शुल्क पर छूट दे सकते हैं। इन ऑफर्स का लाभ उठाएं।
- RTO नियम: अपने राज्य के RTO नियमों को समझें, क्योंकि रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क हर जगह अलग होते हैं।
ऑन-रोड प्राइस और एक्स-शोरूम प्राइस के बीच का अंतर समझना नई गाड़ी खरीदने की प्रक्रिया को आसान बनाता है। जहां एक्स-शोरूम कीमत केवल गाड़ी की मूल लागत को दर्शाती है, वहीं ऑन-रोड प्राइस में रोड टैक्स, रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस जैसे सभी जरूरी शुल्क शामिल होते हैं। गाड़ी खरीदने से पहले इन सभी घटकों को समझना और सही बजट बनाना जरूरी है।
अगर आप भी अपनी ड्रीम कार या बाइक खरीदने की सोच रहे हैं, तो ऑन-रोड प्राइस की पूरी जानकारी लेकर ही शोरूम जाएं। इससे न केवल आपका पैसा बचेगा, बल्कि आप आत्मविश्वास के साथ सही फैसला भी ले पाएंगे।