जीरो बेस बजटिंग: आर्थिक प्रबंधन का नया पर्याय

जीरो बेस बजटिंग: आर्थिक प्रबंधन का नया पर्याय

बजटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति या संगठन निर्मित बजट के माध्यम से अपनी आर्थिक योजनाओं को संचालित करता है। इसका उद्देश्य यह है कि एक व्यक्ति या कंपनी अपने वित्तीय आदान-प्रदान या लेनदेन को सही ढंग से संचालित कर सके और अधिक से अधिक लाभ कमा सके। इसमें कई प्रकार की बजटिंग की जा सकती है, और इसमें से एक प्रमुख दिशा है “जीरो बेस बजटिंग” यानी “शून्य-आधारित बजटिंग”।

जीरो बेस बजटिंग एक नए दृष्टिकोण की दिशा प्रदान करने वाली एक महत्वपूर्ण आर्थिक प्रबंधन तकनीक है। इसका उद्देश्य समर्थन करने योग्य और आवश्यक खर्चों को पहचानना है और बाकी सभी खर्चों को हटा देना है, जिससे संगठन को अधिक स्थिरता और विश्वास मिलता है। हालांकि इसमें कई चुनौतियां हैं, लेकिन यह एक उत्कृष्ट बजटिंग प्रक्रिया है जो संगठनों को आर्थिक दृष्टिकोण से सजग रखने में मदद कर सकती है।

जीरो बेस बजटिंग क्या है?

जीरो बेस बजटिंग से आप क्या समझते हैं? “शून्य-आधारित बजटिंग” अर्थात zero-based budgeting एक आर्थिक प्रबंधन तकनीक है जिसमें हर आर्थिक खर्च को नए से आरंभ किया जाता है, और प्रत्येक खर्च का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए एक नई प्रक्रिया स्थापित कि जाती है। इसमें पूर्वी बजटों की अनदेखी को सुनिश्चित करने के लिए एक अनुक्रमणिका होती है और हर आर्थिक विभाग को उसकी आवश्यकताओं के आधार पर नये से निर्धारित करने का अवसर मिलता है।

अन्य शब्दों में: जीरो बेस बजटिंग एक बजटिंग तकनीक है जिसमें सभी आर्थिक खर्चों को शून्य (जीरो) पर लाने का प्रयास किया जाता है। इसका मतलब है कि प्रत्येक खर्च को पुनरारंभ किया जाता है और उसकी आवश्यकता और महत्वपूर्णता को मूल्यांकन करके ही नया बजट तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया में, पुराने बजट को सीधे मिटा दिया जाता है और सभी खर्चों का मुल्यांकन नए रूप से शुरू किया जाता है।

कैसे काम करती है शून्य-आधारित बजटिंग?

1. पुनर्मूल्यांकन: इस बजटिंग पद्धति में, सभी आर्थिक प्रक्रियाएं पुनर्मूल्यांकन के लिए होती हैं। यहां तक कि सभी संभावित खर्चों की समीक्षा करने के लिए पुराने बजट को समाप्त किया जाता है।

2. महत्वपूर्णता की जाँच: हर खर्च की महत्वपूर्णता का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें केवल आवश्यक और महत्वपूर्ण खर्चों को ही मंजूरी मिलती है, जो संगठन के लक्ष्यों और उद्देश्यों के साथ मेल खाते हैं।

3. नए बजट की तैयारी: पुनर्मूल्यांकन के आधार पर, नए बजट को तैयार किया जाता है जिसमें केवल समर्थन करने योग्य और आवश्यक खर्चों को शामिल किया जाता है।

जीरो बेस बजटिंग के लाभ:

  1. अस्तित्व की पुनरारंभ: शून्य-आधारित बजटिंग की मुख्य बात यह है कि यह आर्थिक संरचना को पुनरारंभ करने का मौका प्रदान करती है। सभी खर्चों को नए से शुरू करने के कारण, संगठन अपने विभिन्न पहलुओं को फिर से आकार देने का मौका प्राप्त करता है।
  2. अधिक स्थिरता: शून्य-आधारित बजटिंग से हर वर्ग की महत्वपूर्णता को नए से मूल्यांकन करने का मौका मिलता है, जिससे संगठन को अधिक स्थिरता प्राप्त होती है।
  3. कारगर विधियाँ: यह विधि व्यक्तियों और संगठनों को उनके आर्थिक वित्तीय लक्ष्यों को साधने के लिए कारगर तरीके प्रदान करती है। सभी खर्चों को मुख्यत: लाभ के साथ मिलाकर यह सुनिश्चित करती है कि प्रतिष्ठान अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल होता है या नहीं।
  4. प्राथमिकताओं का स्पष्टीकरण: शून्य-आधारित बजटिंग की प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होता है कि संस्था के मुख्य लक्ष्यों और प्राथमिकताओं का स्पष्टीकरण होता है। यह विभिन्न विभागों को उनकी आवश्यकताओं के समर्थन में सहायक होता है और संगठन को समर्थन करने के लिए नई राहें खोलता है।

जीरो बेस बजटिंग की विशेषताएं:

पुनर्निरीक्षण प्रक्रिया: इस तकनीक में पुनर्निरीक्षण प्रक्रिया होती है जिससे हर आर्थिक आइटम को विस्तार से मूल्यांकन किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी असमर्थनीय खर्च नहीं हो रहा है और संस्था का वित्तीय स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है।

विभिन्न विभागों के साथ समन्वय: शून्य-आधारित बजटिंग में विभिन्न विभागों को उनकी आवश्यकताओं के आधार पर समन्वयित किया जाता है। इससे संगठन का संचालन अधिक सहज होता है और सभी विभागों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है।

आर्थिक स्वास्थ्य का सुरक्षितता: शून्य-आधारित बजटिंग से यह सुनिश्चित होता है कि संस्था आर्थिक दृष्टि से स्वस्थ रहती है और विभिन्न आर्थिक प्रबंधन नीतियों का सख्ती से पालन करती है।

जीरो बेस बजटिंग के अनुप्रयोग:

व्यक्तिगत बजटिंग: शून्य-आधारित बजटिंग को व्यक्तिगत स्तर पर भी लागू किया जा सकता है। व्यक्तिगत बजटिंग में, एक व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति को शून्य से आरंभ करके अपने खर्चों को पुनः मूल्यांकन करता है और नए लक्ष्य तय करता है। इससे उसे अपने वित्तीय लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद मिलती है।

व्यापारिक संगठनों में लागू: व्यापारिक संगठनों में भी शून्य-आधारित बजटिंग को लागू किया जा सकता है। यहां, विभिन्न विभागों को उनकी आवश्यकताओं के आधार पर नए से निर्धारित किया जाता है और उन्हें आर्थिक संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करने का अवसर मिलता है।

सार्वजनिक क्षेत्र में लागू: सरकारी संगठनों और सार्वजनिक क्षेत्र के भी शून्य-आधारित बजटिंग का अनुप्रयोग किया जा रहा है। यह संगठनों को अपने सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है और सार्वजनिक खर्चों को संयमित करने में मदद करता है।

शून्य-आधारित बजटिंग की चुनौतियां:

  1. जानकारी की कमी: इस तकनीक को अच्छे से लागू करने के लिए व्यक्तियों और संगठनों को अच्छी तरह से आर्थिक जानकारी का समर्थन करना आवश्यक है। जानकारी की कमी के कारण इस प्रक्रिया को सही ढंग से लागू करना मुश्किल हो सकता है।
  2. समर्थन की कमी: शून्य-आधारित बजटिंग में समर्थन की कमी के कारण, विभिन्न विभागों और टीमों को सही समर्थन प्रदान करने में कठिनाई हो सकती है।
  3. विश्वास संबंधी समस्याएं: इस प्रकार की बजटिंग की बुनियाद विश्वास पर होती है, और अगर संगठन के भीतर विश्वास की कमी है तो इसका सही रूप से लागू करना मुश्किल हो सकता है।

“शून्य-आधारित बजटिंग” एक शक्तिशाली और सुसंगत आर्थिक प्रबंधन तकनीक है जो व्यक्तियों और संगठनों को अपने आर्थिक संसाधनों को सही रूप से प्रबंधित करने में मदद कर सकती है। इसके माध्यम से नए लक्ष्यों को प्राप्त करने, पुनः मूल्यांकन करने, और संगठन को सुस्त खर्चों से बचाने में सहायक हो सकता है।

इस तकनीक को अपनाकर, हम सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारे आर्थिक संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग हो रहा है और हम सबके लिए समृद्धि और समृद्धि की दिशा में काम कर रहे हैं।

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